Monday 3 February 2020

शब्दों को शब्दों के साथ जोड़ रहे है..मगर यह क्या,इन शब्दों को तेरे साथ की आज जरुरत क्यों है..

तुझ से मिले नहीं है,यह खबर हर परिंदे को क्यों है..पंख फैलाए सारा जहां घूम आए यह परिंदे,आँखों

मे इन के नमी क्यों है..जवाब तो इन के पास भी नहीं है तभी तो ख़ामोशी से यह सर झुकाए है..दर्द है

इन सभी की आँखों मे,यह तो हमे भी रुलाने पे आमदा है..लौट आओ जहां भी हो,मासूम परिंदो को यू

रुलाना तेरी-मेरी फितरत कहां है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...