शब्दों को शब्दों के साथ जोड़ रहे है..मगर यह क्या,इन शब्दों को तेरे साथ की आज जरुरत क्यों है..
तुझ से मिले नहीं है,यह खबर हर परिंदे को क्यों है..पंख फैलाए सारा जहां घूम आए यह परिंदे,आँखों
मे इन के नमी क्यों है..जवाब तो इन के पास भी नहीं है तभी तो ख़ामोशी से यह सर झुकाए है..दर्द है
इन सभी की आँखों मे,यह तो हमे भी रुलाने पे आमदा है..लौट आओ जहां भी हो,मासूम परिंदो को यू
रुलाना तेरी-मेरी फितरत कहां है..
तुझ से मिले नहीं है,यह खबर हर परिंदे को क्यों है..पंख फैलाए सारा जहां घूम आए यह परिंदे,आँखों
मे इन के नमी क्यों है..जवाब तो इन के पास भी नहीं है तभी तो ख़ामोशी से यह सर झुकाए है..दर्द है
इन सभी की आँखों मे,यह तो हमे भी रुलाने पे आमदा है..लौट आओ जहां भी हो,मासूम परिंदो को यू
रुलाना तेरी-मेरी फितरत कहां है..