इतनी गहरी काली वो खूबसूरत सी आंखे..हम पलक झपकना भूल गए..आंसू निकले जब खुद की आँखों
से तो कद्रदान उन्ही आँखों के फिर से हो गए..समंदर को देखा था कभी,पर वो भी इतना गहरा ना था..
खो बैठे है सुध-बुध अपनी,बेगाने अब खुद से है..खुद ही कान्हा खुद ही कृष्णा,खुद ही राधा खुद ही मीरा..
आँखों ने उत्पात मचाया,चैन खोया तो दिल भी साथ मे खोया..देह- मोल के अब क्या मायने,इन्ही आँखों
से जुड़े है सदियों से भी पहले...
से तो कद्रदान उन्ही आँखों के फिर से हो गए..समंदर को देखा था कभी,पर वो भी इतना गहरा ना था..
खो बैठे है सुध-बुध अपनी,बेगाने अब खुद से है..खुद ही कान्हा खुद ही कृष्णा,खुद ही राधा खुद ही मीरा..
आँखों ने उत्पात मचाया,चैन खोया तो दिल भी साथ मे खोया..देह- मोल के अब क्या मायने,इन्ही आँखों
से जुड़े है सदियों से भी पहले...