Sunday 16 February 2020

शाम आज की है बेहद खूबसूरत..हज़ारो फूल महक गए जैसे सिमट गए इस शाम मे आ कर..कुछ खिले

कुछ अनखिले रह गए..एक फूल रहा ख़ास,जिस ने गुलिस्ताँ का रुख ही बदल दिया..वो हज़ारो फूल अब

किस काम के,गुलिस्ताँ मे जो अपनी महक बरक़रार ना रख सके... बेहद प्यार से,विश्वास से जो संवारा

होता तो बेचारा गुलिस्ताँ यू मारा-मारा ना फिरता..खुद को पूरी तरह कुर्बान करना पड़ता है,गुलिस्ताँ को

जब पूरी तरह आबाद करना होता है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...