शाम आज की है बेहद खूबसूरत..हज़ारो फूल महक गए जैसे सिमट गए इस शाम मे आ कर..कुछ खिले
कुछ अनखिले रह गए..एक फूल रहा ख़ास,जिस ने गुलिस्ताँ का रुख ही बदल दिया..वो हज़ारो फूल अब
किस काम के,गुलिस्ताँ मे जो अपनी महक बरक़रार ना रख सके... बेहद प्यार से,विश्वास से जो संवारा
होता तो बेचारा गुलिस्ताँ यू मारा-मारा ना फिरता..खुद को पूरी तरह कुर्बान करना पड़ता है,गुलिस्ताँ को
जब पूरी तरह आबाद करना होता है..
कुछ अनखिले रह गए..एक फूल रहा ख़ास,जिस ने गुलिस्ताँ का रुख ही बदल दिया..वो हज़ारो फूल अब
किस काम के,गुलिस्ताँ मे जो अपनी महक बरक़रार ना रख सके... बेहद प्यार से,विश्वास से जो संवारा
होता तो बेचारा गुलिस्ताँ यू मारा-मारा ना फिरता..खुद को पूरी तरह कुर्बान करना पड़ता है,गुलिस्ताँ को
जब पूरी तरह आबाद करना होता है..