कभी खोना है तो कभी पाना है..कभी हंसना है तो कभी रोना है..हिम्मते-दाद दे खुद को कि हंस के
सब झेल जाना है..क्या हुआ जो थोड़ा सा मिला ..क्या हुआ जो थोड़ा मिल के भी खो गया..बस यह
याद रखा कि कुदरत की लाठी मे कभी आवाज़ नहीं होती..इस बात को बहुत ठीक से समझा,जो मिला
जितना मिला..उसी मे ख़ुशी-ख़ुशी जी लिया...
सब झेल जाना है..क्या हुआ जो थोड़ा सा मिला ..क्या हुआ जो थोड़ा मिल के भी खो गया..बस यह
याद रखा कि कुदरत की लाठी मे कभी आवाज़ नहीं होती..इस बात को बहुत ठीक से समझा,जो मिला
जितना मिला..उसी मे ख़ुशी-ख़ुशी जी लिया...