Sunday 9 February 2020

पांव के उस जख्म से ले कर आज दिल के दर्द तक,इश्क को शिद्दत से निभाया हम ने..तुझे हम पे है

कितना यकीन,इस का जवाब खुद अपने आप से खुद ही पूछ लेना..दर्द हज़ारो छुपा लिए,जो थोड़ी सी

ख़ुशी थी पास मेरे उस के लम्हे तुम से बाँट लिए..परिंदो से ले कर इंसानो तक के,कितने किस्से तुम को

सुना दिए..शिकायत अब तुम से क्या करनी,जब ऊपर वाले से ही शिकायत ना कर सके.. कोई शिकायत

तो अब इस ज़िंदगी से भी नहीं..जो जितना हम को मिला उतना भी कितनो को मिल पाता है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...