उलट कर देखा तो कभी पलट कर देखा..पर ऐ ज़िंदगी,तेरे पन्नों पे कुछ गलत तो नज़र नहीं आया...
कैसे कह दे कि तेरे हर हिसाब मे हम को खोट नज़र आया..यह कदम जब भी टूटे तो खोट का आइना
इन्ही इंसानो मे नज़र आया...पर देते है दाद तुझे ऐ ज़िंदगी,तूने इन कदमों को फिर से चलना सिखाया...
झुकने नहीं दिया किसी गलत मोड़ पर और सर हमारा अदब से उठाया...देते है शुक्राना तुझ को ऐ
ज़िंदगी,कि हर आने वाली छोटी सी ख़ुशी से भी तूने हम को अवगत करवाया...अदब से हम ने हर पल
तुझे शीश नवाया...शुक्रिया मेरी ज़िंदगी...