पहाड़ों की इतनी खूबसूरत वादियों को निहारना किस्मत की बात है..''मैं अपाहिज,अभागन ठीक से खड़ी
भी नहीं हो पाती...सूरत भी ऐसी,किसी की हमसफ़र भी नहीं बन सकती''...यह सोच वो गहरी खाई मे
कूद गई...नियति कब कैसे किस से मिला दे,कौन कब आ कर साथ का हाथ बढ़ा दे..आंख खुली तो
इक मसीहा सामने था..वो कुछ बोल पाती,उस ने प्यार से हाथ उस का थाम लिया...''जानता हू,सब कुछ
जानता हू..तुम गरीब अपाहिज हो,इस मे कसूर तेरा तो नहीं..और सुन,मैं बेहद अमीर और खूबसूरत हू..
तो यह कसूर भी मेरा नहीं ''...कुदरत ने मरने से पहले खुशियों का समंदर दे दिया..''गरीब अपाहिज
नहीं हो तुम..तुम तो अब मेरा संसार हो''..भीगे नैना और खूबसूरत वादियाँ और भी खूबसूरत हो गई...
हां,यही प्यार है...रूप-रंग-उम्र-दौलत से परे...इक प्रेम कहानी अमर कहानी हो गई...