Monday 11 January 2021

 क्यों करे इंतजार इस धुंध के छट जाने का,जब कि जानते है सूरज उस पार से जल्द उदय होने को है...


नहीं कहे गे इस सर्द बरखा को रुक जाने के लिए, कि जानते है महकती धूप बस  खिल जाने को है..


यह वादियां जो ढकी है गहरे कोहरे से,देख रहे है इन को अपनी आँखों से...इंतज़ार करे गे मौसम के 


बदल जाने का...सब्र का पैमाना टूटता नहीं कि जानते है बहुत अच्छे से,उस मालिक ने सब कुछ दिया 


हम को बिन मांगे...मुस्कुरा दीजिए जग वालों कि जब वो देने पे आ जाए तो रास्ते खुद ही खुलते है...


दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...