Thursday, 21 January 2021

 बात तो बहुत छोटी सी थी..मगर उस के बड़े काम की थी...घनेरे बादलों से निकलती चमकती धूप सी 


उज्जवल थी...दरख्तों से गुजरती उस की सुबह किसी कामयाबी से कम तो ना थी...माटी का घड़ा सर 


पे उठाए वो बंजर जमीं को महकाने जो चली थी..सामने था खुला आसमां पर उस को खबर ही कहा थी...


अल्लाह-ताला को शुक्राना देती..दिल मे किसी निश्चय को पक्का करती..मशाल बेशक ना हाथ मे थी,पर 


बिन मशाल राह सब को दिखाती,वो कौन थी.....................

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...