Tuesday 26 January 2021

 नफरत की दीवार तो तब खड़ी होती,जब मुहब्बत की नींव सिर्फ जिस्म की जरुरत होती...वो शुरुआत 


तो पूजा की थाली से जुड़ी थी...जिस मे हाथ जुड़े थे खुदा के आगे,शुक्राना देने के लिए...वो शुक्राना था 


कैसा,जहां आँखों मे ढेरों आंसू थे...हर आंसू कर रहा था वादा,दूर तक साथ निभाने का...दिल हुआ जा 


रहा था निर्मल और मुहब्बत का पहला कदम अपने सजना को समर्पित था...चेहरे पे नूर था गज़ब का...


जो दे रहा था मात हर उस नियामत को..जो हम को दिया यह तोहफा,मालिक ऐसी किस्मत सब को देना..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...