वो सफ़ेद फूल जो तूने दिए थे,आज भी मेरे आंगन मे खिलते है..तेरी दी, वो दो बत्तख़ भी आज तक मेरे
आशियाने मे चलती-बहकती रहती है..सफ़ेद फूल बेहद शांत है,मेरे दिल की तरह...और यह बत्तख़
बिलकुल तुम्हारे दिल के जैसी है,हर वक़्त इधर-उधर बहकती है..सफ़ेद फूल उगाना तुम भी अपने
आंगन मे,शायद दिल तुम्हारा भी सिर्फ हमारा ही हो कर रह जाए...ना रखना इन बत्तखों को,ऐसा ना हो
तुम को बार-बार फिर कही और फिसलना पड़े...