Friday 29 January 2021

 धरा मिली रहने के लिए,क्या कम है..हवा का साथ है,सांसो के लिए..कितनी बड़ी नियामत है...थाली मे 


सब कुछ है खाने को,उसी की महिमा है...झर-झर बहता जल है तो प्यास को क्या कमी है...शरीर मे 


जान है काम करने की,फिर उस ने क्या कमी की है..सोने के लिए साफ़ बिस्तर मिला है तो शांति की भी 


कहां कमी है..अरे इंसान,इस से जयदा तुझे और क्या चाहिए..अब तो हाथ जोड़ कर शुक्रिया कर.....


मानव-जीवन मिला है..जो आसानी से सब को कब मिलता है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...