Saturday 16 January 2021

 फिर से इस पायल को आज़ाद कर दिया...हाथ की इन चूड़ियों को हर बंधन से परे कर दिया...लफ्ज़ो की 


दुनियाँ बहुत खूबसूरत है,बस इसी की पाक-खूबसूरती पे हम ने खुद को बलिदान कर दिया...उन्मुक्त 


हवा के साथ चल पड़े है...जीवन की राहों पे अकेले ही मुस्कुरा कर मस्ती मे चूर... दूर बहुत दूर निकल 


पड़े है...हर तरफ बिखरी है कुदरत की अनोखी कुदरत...किसे से भी ना कहे गे कि साथ मेरे चल...खुद 


से कभी ठीक से मिले ही नहीं,खुद को जाने गे फूलों की वादियों मे जी भर कर...खुद से प्यार करे गे..


जी भर कर....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...