फिर से इस पायल को आज़ाद कर दिया...हाथ की इन चूड़ियों को हर बंधन से परे कर दिया...लफ्ज़ो की
दुनियाँ बहुत खूबसूरत है,बस इसी की पाक-खूबसूरती पे हम ने खुद को बलिदान कर दिया...उन्मुक्त
हवा के साथ चल पड़े है...जीवन की राहों पे अकेले ही मुस्कुरा कर मस्ती मे चूर... दूर बहुत दूर निकल
पड़े है...हर तरफ बिखरी है कुदरत की अनोखी कुदरत...किसे से भी ना कहे गे कि साथ मेरे चल...खुद
से कभी ठीक से मिले ही नहीं,खुद को जाने गे फूलों की वादियों मे जी भर कर...खुद से प्यार करे गे..
जी भर कर....