वफ़ा की राह मे वो कुर्बान हो गई..और वो बेवफा की राह पर दूर तक चलता रहा...वो सब जान कर भी
उस से प्यार करती रही..सब समझ कर भी विश्वास का दामन पकड़े रही...वो उस को दीवानी,पागल
समझ बहलाता रहा...पर प्रेम की रौशनी थी इतनी सुनहरी कि बहुत दूर से भी उस को बेवफाई की गंध
आती रही...धीरे धीरे दूरियां बड़ी..अरमानों की चिता जली...रह गई राख़ और प्यार की दुनियां तबाह हो
गई...