Tuesday 12 January 2021

 सुबह उठे तो आंख नम थी..हाथ तो जुड़े थे शुक्राने मे,फिर हमारी यह आंखे क्यों नम थी...क्या कोई 


आज फिर हमारी दुआ की जरुरत मे था...क्या कोई फिर हमारी इबादत / पूजा की थाली की इंतज़ार 


मे था...क्या किसी को अपनी मन्नत पूरी होने का पाक सवाल,उस मालिक से था...एक मामूली इंसान 


है,सब कुछ क्या जाने...पर अपनी आँखों की नमी को,दुआ मे तब्दील कर दिया...कौन है जो हमारी 


दुआ मे आज शामिल है...जानते भी नहीं पर दुआ का पाक सफर अपनी राह पे है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...