Thursday 21 January 2021

 ''टूटते सितारे से कुछ भी मांगो तो मिल जाता है''..सुन सखी की बात हम हंस दिए...सखी,हम ने तो चाँद 


से भी कुछ माँगा था ,जब उस से ना मिला तो यह टूटा तारा क्या दे पाए गा...हिम्मत और कर्म का साथ 


हो तो वो खुद ही बिन मांगे दे देता है...उस की रहमत हो तो पत्थर भी मोम हो जाता है...इंसानो की यह 


दुनियां बहुत विचित्र है सखी..यह सोचते है,दुनियां तो हमारे दम से ही चलती है...सनकी है,क्या रात के 


अँधेरे को दिन के उजाले मे तब्दील कर सकते है...अरे,जो खुद की किस्मत मे ख़ुशी ना लिख पाए,वो 


दूजे को भला क्या देगा...हिम्मत का जज़्बा ही नहीं तो औरो का साथ भला क्या दे गा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...