रजनीगंधा के फूलों की तरह....गुलाब की पंखुड़ियों की तरह...ना महको इतने करीब मेरे कि मुहब्बत
हम को आप से हो जाए...कुछ तो ख्याल कीजिए हमारे नाज़ुक़ से दिल का,यह कही आप पे ही ना मर
मिट जाए ...भीगे गेसुओं को खुद के आंचल मे समेटे,यह बूँदे ना हम पे गिराओ...मर ही जाए गे,अब इतना
कहर भी ना ढाओ...सुनिए जनाबे-आली,रूप को संवारना काम हमारा है...दिल आप को अपना संभालना
यह तो हज़ूर काम आप का है...