Monday 18 January 2021

 रजनीगंधा के फूलों की तरह....गुलाब की पंखुड़ियों की तरह...ना महको इतने करीब मेरे कि मुहब्बत 


हम को आप से हो जाए...कुछ तो ख्याल कीजिए हमारे नाज़ुक़ से दिल का,यह कही आप पे ही ना मर 


मिट जाए ...भीगे गेसुओं को खुद के आंचल मे समेटे,यह बूँदे ना हम पे गिराओ...मर ही जाए गे,अब इतना  


कहर भी ना ढाओ...सुनिए जनाबे-आली,रूप को संवारना काम हमारा है...दिल आप को अपना संभालना 


यह तो हज़ूर काम आप का है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...