Saturday 16 January 2021

 बहुत अँधेरा है,रौशन करो ना इस शाम को...अँधेरे से डर कर उस ने कहा..''अंधेरो से डर कैसा..साथ 


हू मैं तेरे मेरी जाना...यह दीपक तो सिर्फ शाम का अँधेरा दूर कर पाए गा...तेरे लिए मेरा साथ रौशनी 


बन कर तेरी हर राह जगमगाए गा''....किस ने कहा कि कलयुग मे प्रेम सच्चा नहीं होता...जो गहरे से 


गहरे अँधेरे से टकरा जाए...जो वफ़ा की पाक-जोत रूह से जलाए...ईमानदारी से अपने साथी का साथ 


आखिरी सांस तक निभा जाए..वहाँ गहरे अँधेरे से कौन घबराए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...