Sunday 27 December 2020

 काजल ना भरो आँखों मे इतना,रात जल्दी गहरा जाए गी...ना भिगो गेसुओं को इतना,बरखा बिन मौसम 


ही बरस जाए गी...सोच जरा उन का जो शाम को रात समझ ले गे,तेरे सदके...और भीगे गे बिन मौसम 


बारिश मे,तेरे सदके....हुस्न कातिल है तेरा तो यू खुद पे ना इतरा...मखमली दुपट्टे से ढाप ले यह सुंदर 


चेहरा,चाँद खुद को समझ इस धरा पे उतर आए गा...हुस्न खिलखिला कर हंस दिया और यह इश्क,जो 


इसी हुस्न के सदके, उसी की गोद मे फ़ना हो गया....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...