Sunday 20 December 2020

 ''राधा के अलौकिक प्रेम का अनंत सफर...सतयुग से कलयुग का''

राधा..तुम कौन हो ? समर्पिता,गर्विता या प्रेम के गहरे रंग मे सजी..कल्पना या यथार्थ की धरती पे मुस्कुराती कृष्ण की प्रेमिका...जन्म ले कर कृष्ण से पहले ,आंखे खोली उस को देख कर..बन गई तभी से उस की प्रेमिका...खिलखिलाती मुस्कुराती,कृष्ण-प्रेम मे पगी उसी को समर्पित इक प्रेमिका...जहाँ से बेखबर सिर्फ अपने कृष्ण को मिलने की आस मे दौड़ती वो अनोखी प्रेमिका..ना देह का कोई रिश्ता,ना ब्याह का कोई सिलसिला..फिर भी युगो युगो से राधा रही अपने कृष्ण की समर्पिता...वो उस का कृष्ण रहा जो उस के अलौकिक प्रेम मे खो गया..रिश्ता तो कोई भी ना था पर राधा को अपने अलौकिक प्रेम मे कृष्ण भी उस को नहला गया...कृष्ण से राधा ने चाहा तो कुछ नहीं बस उस की ख़ुशी के लिए,जीवन का हर तार-संसार उसी को समर्पित कर दिया..वो पाक रिश्ता ना जाने कैसा रहा कि कृष्ण से पहले राधा का नाम,समस्त संसार कि जुबान पर आ गया...कलयुग मे कहाँ है ऐसे पाक रिश्तो का जहाँ..यहाँ राधा का मोल सिर्फ दैहिक स्तर तक सीमित उसी कृष्ण ने कर दिया...वो समर्पित हो गई कृष्ण को रूह की आवाज़ पर,देह का मोल उस के लिए कृष्ण की ख़ुशी हो गया..पर कलयुग की राधा उस कृष्ण की राधा हुई,जहाँ कृष्ण ने उस का मोल सिर्फ आम औरत कर दिया..यह सूरज चाँद,यह धरती आसमान सदियों तक इस के गवाह होंगे...सवाल है कि अब इस कलयुग मे क्या राधा-कृष्ण जैसा अलौकिक प्यार कही होगा ? हां,होगा..कही तो होगा..शायद विरले ही होंगे..जो देह से परे इस अलौकिक प्रेम मे जीते होंगे...शायद तभी यह धरती आज भी आबाद है..क्यों कि अलौकिक प्रेम का कही ना कही तो वास है..फिर सादिया बीते गी...फिर राधा जन्म ले गी,फिर से उस की आंखे कृष्ण के अलौकिक प्रेम से खुलना चाहे गी..जहाँ तब बहुत ही खूबसूरत होगा जब सतयुग की महिमा फिर से लहराए गी...यह सफर राधा के अलौकिक प्रेम का कभी खतम ना हो पाए गा...जब तक वो सतयुग का वही कृष्ण अपनी राधा को देह से परे अपने अलौकिक प्रेम से नहलाये गा...जय श्री राधेकृष्ण..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...