सर से आँचल का ढलकना और हवा का तेज़ होना..चलते चलते पाँव मे काँटा चुभना और आंख से आंसू
निकल आना...काजल का इन आँखों से बिखर जाना और तेरी याद का सैलाब उमड़ जाना...इस पाँव
का काँटा कैसे निकले,तुझे फिर से याद कर जाऱ जाऱ रोना...सहारा तेरा कब माँगा था,इक प्यार भरा
साथ ही तो चाहा था...तेरी वो बोलती आंखे,तेरी वो शरारती बाते...तुझे कान्हा भी कह दे तो जायज़ होगा...
इस पत्थर-दिल दुनियाँ मे तेरा यू मोम हो जाना..और अचानक पाँव का यह दर्द ख़तम हो जाना...