Friday, 25 December 2020

 देर रात तक ना जाग,कुछ अपनी अल्हड़ उम्र का  ख्याल कर..जवानी के साल बस बचे है कुछ थोड़े,


उस पे यू जुल्म बार बार ना कर...दिन के उजाले ज़िंदगिया बदल दिया करते है...रातो के अँधेरे बस 


बर्बाद ही किया करते है..ग़ज़ल की इक खूबसूरत शाम हो,जो सिर्फ तेरे और मेरे नाम हो...नगमे कुछ 


तुम सुनाना मुझे और हम गीतों की लय पे मदहोश हो जाए गे..ऊपरवाला सिर्फ सच्चाई देखता है...वो 


गलत मे ना मेरा है और ना ही तेरा है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...