Friday, 25 December 2020

 मैं शाख शाख मैं ही पात पात...तू देखे जिधर,मेरा अस्तित्व है तेरे ही पास पास...छू ले कितनी बेखबर 


हवाओं को,वो साथ तेरे ना दूर तक चल पाए गी...अंधेरो मे जला दिए कितने,रौशन तेरे मन का आंगन 


मैं ही कर पाऊ गी...नफ़रत मुझ से करने के लिए,कलेजा अपना जरा मजबूत कर लेना...आरती मेरी 


उतारने के लिए,अपनी नज़र साफ़ पावन फिर से कर लेना...गन्दी हवाओं का साया मुझे मंजूर नहीं..


तेरे ऊपर कोई मैल जमे,वो सहना मेरी फितरत ही नहीं..क्यों कि मैं ही शाख शाख मैं ही पात पात...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...