Friday 18 December 2020

 हटा पहरा सूरज का तो हवा कहर ढा गई...किसी ने पूछा हम से,यह हवा आप को क्या बता गई..ओह,


यह हवा हम को क्या बताए गी..यह हम को क्या सिखाए गी..जो खुद चलती है हमारे ही इशारों पे,वो 


हम को क्या सन्देश दे जाए गी..हम ने घूँघट मे अपना चेहरा छिपाया तो सूरज को छुपना पड़ा...हवा को 


अपने दुपट्टे से लहराया तो यह जग को महका महका गई...अब जनाब,जयदा ना पूछिए...जो हम खुल 


के मुस्कुरा दिए तो क़हर छा जाए गा..बरसे गा बादल खुल के और यह जहाँ सर्द हवाओं से कांप कांप 


जाए गा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...