आज उन को सात जन्मो के लिए मांग लिया रब से हम ने...दौलत के तराज़ू से परे,सादगी का
वादा मांग लिया अपने रब से हम ने..पूजा की रस्मे कभी निभाई नहीं,तेरी चौखट पे कभी कुछ
चाहा भी नहीं..आंसू भी छलके तो खुद से भी छुपा लिया खुद मे..याद आई भी उन की तो सीने मे
सब दफ़न कर लिया हम ने..शहंशाह तो रहो गे तुम मेरे,मगर मुमताज़ तेरी बनने के लिए जन्म तो
फिर से लेना होगा...
वादा मांग लिया अपने रब से हम ने..पूजा की रस्मे कभी निभाई नहीं,तेरी चौखट पे कभी कुछ
चाहा भी नहीं..आंसू भी छलके तो खुद से भी छुपा लिया खुद मे..याद आई भी उन की तो सीने मे
सब दफ़न कर लिया हम ने..शहंशाह तो रहो गे तुम मेरे,मगर मुमताज़ तेरी बनने के लिए जन्म तो
फिर से लेना होगा...