Tuesday 7 May 2019

छुई-मुई की तरह सिमट गए है--तेरे छूने भर के ख्याल से काँप रहे है--धड़कनो की रफ़्तार कम होने

को राज़ी ही नहीं--पाँव है कि ज़मीं पे टिकने को तैयार नहीं---कितनी बार सँवारे इन गेसुओं को,ज़ालिम

बंधने के काबिल ही नहीं--खामोश होने को जो कहते है इस कंगना से,झूमती नदिया की तरह कुछ

भी मानने को सुनता ही नहीं--शायद सभी को इंतज़ार है मेरे साजन का,लेकिन हम छुई-मुई की तरह

सिमट सिमट गए है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...