छुई-मुई की तरह सिमट गए है--तेरे छूने भर के ख्याल से काँप रहे है--धड़कनो की रफ़्तार कम होने
को राज़ी ही नहीं--पाँव है कि ज़मीं पे टिकने को तैयार नहीं---कितनी बार सँवारे इन गेसुओं को,ज़ालिम
बंधने के काबिल ही नहीं--खामोश होने को जो कहते है इस कंगना से,झूमती नदिया की तरह कुछ
भी मानने को सुनता ही नहीं--शायद सभी को इंतज़ार है मेरे साजन का,लेकिन हम छुई-मुई की तरह
सिमट सिमट गए है---
को राज़ी ही नहीं--पाँव है कि ज़मीं पे टिकने को तैयार नहीं---कितनी बार सँवारे इन गेसुओं को,ज़ालिम
बंधने के काबिल ही नहीं--खामोश होने को जो कहते है इस कंगना से,झूमती नदिया की तरह कुछ
भी मानने को सुनता ही नहीं--शायद सभी को इंतज़ार है मेरे साजन का,लेकिन हम छुई-मुई की तरह
सिमट सिमट गए है---