हौले हौले इक सरसराहट सी हुई..लगा जैसे रूह पे किसी ने दस्तक दी..फिर लगा कुछ धोखा है
ज़मीर का..उठती-गिरती सांसो से कोई अजीब सा भुलेखा है..आँखों को जो खोला नज़र कुछ नहीं
आया..खुली हवा मे आए तो वादियों को भी खामोश ही पाया..कुछ तो है ऐसा जो चल रहा है साथ
मेरे..रूह ने ऐलान किया,सरसराहट तो है उस प्यार की..जिसे ढूंढ़ने तेरा दिल कितनी बार बर्बाद
हुआ...
ज़मीर का..उठती-गिरती सांसो से कोई अजीब सा भुलेखा है..आँखों को जो खोला नज़र कुछ नहीं
आया..खुली हवा मे आए तो वादियों को भी खामोश ही पाया..कुछ तो है ऐसा जो चल रहा है साथ
मेरे..रूह ने ऐलान किया,सरसराहट तो है उस प्यार की..जिसे ढूंढ़ने तेरा दिल कितनी बार बर्बाद
हुआ...