दौलत के ढेर चुने या नियामतों मे रहे--ऐशो आराम चुने या माँ बाबा की दुआओ मे रहे--तोहफों को
रखे या अल्लाहमियां की मेहरबानियों को चुने--ज़िंदगी तो एक है,जिए तो किस तरह जिए--सकून
से जीने के लिए हसरतो की सुने या दिल अपने की सुने-- यह सांसे जब रोज़ चलती है उस की रज़ा से,
दुआए रहती है माँ बाबा की आँखों की नमी मे--फिर और क्या मांगे उस खुदा से,बस नियामते ही रहे
मेरी बगिया मे--
रखे या अल्लाहमियां की मेहरबानियों को चुने--ज़िंदगी तो एक है,जिए तो किस तरह जिए--सकून
से जीने के लिए हसरतो की सुने या दिल अपने की सुने-- यह सांसे जब रोज़ चलती है उस की रज़ा से,
दुआए रहती है माँ बाबा की आँखों की नमी मे--फिर और क्या मांगे उस खुदा से,बस नियामते ही रहे
मेरी बगिया मे--