Thursday 2 May 2019

दौलत के ढेर चुने या नियामतों मे रहे--ऐशो आराम चुने या माँ बाबा की दुआओ मे रहे--तोहफों को

रखे या अल्लाहमियां की मेहरबानियों को चुने--ज़िंदगी तो एक है,जिए तो किस तरह जिए--सकून

से जीने के लिए हसरतो की सुने या दिल अपने की सुने-- यह सांसे जब रोज़ चलती है उस की रज़ा से,

दुआए रहती है  माँ बाबा की आँखों की नमी मे--फिर और क्या मांगे उस खुदा से,बस नियामते ही रहे

मेरी बगिया मे--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...