Sunday 5 May 2019

मुश्किल राहो मे मेरे साथ चलने से,क्यों मुकर गए--तपती रेत मे झुलसने से,क्यों डर से गए--ज़िंदगी

तो धूप-छाँव का रेला है यारा,साथ देने की जगह हिम्मत ही हार गए--अकेले चलना तो फितरत है

हमारी--पर बदकिस्मती अब है तुम्हारी,मुहब्बत की बाज़ी जीतने की जगह तुम हार गए--सहारे लेना

अपनी आदत ही नहीं,तुम तो सिर्फ साथ चलने से ही मुकर गए--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...