मुश्किल राहो मे मेरे साथ चलने से,क्यों मुकर गए--तपती रेत मे झुलसने से,क्यों डर से गए--ज़िंदगी
तो धूप-छाँव का रेला है यारा,साथ देने की जगह हिम्मत ही हार गए--अकेले चलना तो फितरत है
हमारी--पर बदकिस्मती अब है तुम्हारी,मुहब्बत की बाज़ी जीतने की जगह तुम हार गए--सहारे लेना
अपनी आदत ही नहीं,तुम तो सिर्फ साथ चलने से ही मुकर गए--
तो धूप-छाँव का रेला है यारा,साथ देने की जगह हिम्मत ही हार गए--अकेले चलना तो फितरत है
हमारी--पर बदकिस्मती अब है तुम्हारी,मुहब्बत की बाज़ी जीतने की जगह तुम हार गए--सहारे लेना
अपनी आदत ही नहीं,तुम तो सिर्फ साथ चलने से ही मुकर गए--