Sunday 19 May 2019

दौलत के तराज़ू मे अपना सकून ना तोल पाए गे..यह ज़िंदगी सिर्फ और सिर्फ अब हमारी है,खुद की

शर्तो पे जीना चाहे गे..रेत पे महल बनाने को राज़ी नहीं,सूरज को चाँद कहे यह भी हमारे बस की बात

नहीं...जो फिसल जाए हाथो से,वो वक़्त नहीं है हम...दुआये साथ है इतनी कि दौलत को खोजने की

हसरत ही नहीं..सकून से सोने के लिए,सोने-चांदी का बिस्तर नहीं होता..खुदा के नाम से जय्दा कोई

और नाम नहीं होता..यही ज़िंदगी है,जिस मे कष्ट का काम नहीं होता...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...