सिक्को की इस दुनिया मे इंसानो को पागल होते देखा...कदम-दर-कदम इन के लिए चाल चलते
देखा..शोहरत का बुलबुला और पानी मे आग लगाते भी देखा...आज भी इन सांसो को हथेली पे रखे
जी रहे है..किस पल विदा ले ले,यह सोच कर रोज़ बिंदास जी रहे है..तेरी दुनिया रब्बा मेरे,रास नहीं
आई..खुल के जीने पे जहा है बंदिशों की रसमाई...तोड़ कर ही जाए गे यह रस्मो के बंधन,फिर तू
कहां और मैं कहां..अल्फाज़ो मे रहे गा यह जीवन...
देखा..शोहरत का बुलबुला और पानी मे आग लगाते भी देखा...आज भी इन सांसो को हथेली पे रखे
जी रहे है..किस पल विदा ले ले,यह सोच कर रोज़ बिंदास जी रहे है..तेरी दुनिया रब्बा मेरे,रास नहीं
आई..खुल के जीने पे जहा है बंदिशों की रसमाई...तोड़ कर ही जाए गे यह रस्मो के बंधन,फिर तू
कहां और मैं कहां..अल्फाज़ो मे रहे गा यह जीवन...