Friday 24 May 2019

सिक्को की इस दुनिया मे इंसानो को पागल होते देखा...कदम-दर-कदम इन के लिए चाल चलते

देखा..शोहरत का बुलबुला और पानी मे आग लगाते भी देखा...आज भी इन सांसो को हथेली पे रखे

जी रहे है..किस पल विदा ले ले,यह सोच कर रोज़ बिंदास जी रहे है..तेरी दुनिया रब्बा मेरे,रास नहीं

आई..खुल के जीने पे जहा है बंदिशों की रसमाई...तोड़ कर ही जाए गे यह रस्मो के बंधन,फिर तू

कहां और मैं कहां..अल्फाज़ो मे रहे गा यह जीवन...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...