Tuesday 28 May 2019

बहुत शिददत से आज फिर माँ को पुकारा हम ने...उलझ गए है ज़िंदगी के तानो-बानो मे,बस सही

राह ढूंढ रहे है..बहुत कुछ खो दिया,बहुत कुछ गवां दिया..जो पाया वो भी तुझ को बता दिया..आज

भी जाने से कदम रुक नहीं पाते तेरे आंगन मे..तुम चली गई,मैं भी चली जाऊ गी...बस रह जाए गी

कहानियां,जो तेरे-मेरे इतिहास को नई नस्लों को समझाए गी...काश,तुम होती आज साथ मेरे,तो

आज भटकने से बच जाते,तेरी ही गोद मे सर रख कर ज़िंदगी गुजार देते...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...