समंदर रहे शांत तो लहरें इत्मीनान से इधर-उधर चला करती है..वो कुछ नहीं कहता सब कुछ खुद
मे जज्ब करता है..लोग आते है समंदर के नज़ारे देख खुश होते है..समंदर की सतह पाने की कोई
जुर्रत भी नहीं करते..शांत है तो लहरों को पनाह देता है..रूद्र रूप मे आ जाये तो सब कुछ तबाह कर
देता है..
मे जज्ब करता है..लोग आते है समंदर के नज़ारे देख खुश होते है..समंदर की सतह पाने की कोई
जुर्रत भी नहीं करते..शांत है तो लहरों को पनाह देता है..रूद्र रूप मे आ जाये तो सब कुछ तबाह कर
देता है..