परवाना नहीं,दीवाना भी नहीं..जो लुटा दे मुहब्बत हम पर वो मजनू भी नहीं...इशारो की जो भाषा
समझे,वो कातिल सा इंसा भी नहीं..बेशक साथ मेरे हर पल ना रहो,आँखों से दिन भर ओझल भी
रहो..तपती धूप हो या तूफान हो तकलीफ़ों का,बिन पुकारे जो तुम चले आते हो..ढूंढ़ती है नज़रें जब
भी शिद्दत से तुम्हे,होते हो सामने मेरे..मेरी किस्मत के मसीहा बन के...
समझे,वो कातिल सा इंसा भी नहीं..बेशक साथ मेरे हर पल ना रहो,आँखों से दिन भर ओझल भी
रहो..तपती धूप हो या तूफान हो तकलीफ़ों का,बिन पुकारे जो तुम चले आते हो..ढूंढ़ती है नज़रें जब
भी शिद्दत से तुम्हे,होते हो सामने मेरे..मेरी किस्मत के मसीहा बन के...