Monday 27 May 2019

अपने इश्क की दास्तां सुनाते सुनाते वो रो पड़े..धोखा खाया है किसी के प्यार मे,ज़िंदगी से बेज़ार

हुए फफक कर रो दिए...डर था जिसे खोने का,उसी के जाने पर बिलख बिलख कर बिखर गए..कसूर-

वार नहीं हू पर अब तन्हाई से डरता हू..''जो छीना जाए वो प्यार नहीं होता,जो मेहबूब के सज़दे मे झुक

जाए वो क़ाबिले-एतबार होता है'''''अब कैसा डर तन्हाई का,अब कैसा खौफ खो देने का..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...