अपने इश्क की दास्तां सुनाते सुनाते वो रो पड़े..धोखा खाया है किसी के प्यार मे,ज़िंदगी से बेज़ार
हुए फफक कर रो दिए...डर था जिसे खोने का,उसी के जाने पर बिलख बिलख कर बिखर गए..कसूर-
वार नहीं हू पर अब तन्हाई से डरता हू..''जो छीना जाए वो प्यार नहीं होता,जो मेहबूब के सज़दे मे झुक
जाए वो क़ाबिले-एतबार होता है'''''अब कैसा डर तन्हाई का,अब कैसा खौफ खो देने का..
हुए फफक कर रो दिए...डर था जिसे खोने का,उसी के जाने पर बिलख बिलख कर बिखर गए..कसूर-
वार नहीं हू पर अब तन्हाई से डरता हू..''जो छीना जाए वो प्यार नहीं होता,जो मेहबूब के सज़दे मे झुक
जाए वो क़ाबिले-एतबार होता है'''''अब कैसा डर तन्हाई का,अब कैसा खौफ खो देने का..