उलझनों के दलदल मे कितनी बार फ़से...ग़ुरबत ने कहा चल साथ मेरे...दर्द बोले उम्र भर हू पास तेरे ...
धीमे से नैना बोले,आसुओ की धारा मुझ से ले ले....पीछे कहाँ रहे दिल-दिमाग के पुर्ज़े,नज़र तुझे अब
मेरी ही लगे...मुस्कुराएं हम..अरे.यह तो अपने है साथी सभी...फिर क्यों मेरे दुश्वार बने...जवाब एक
दिया सब को..जब साथ मेरे अल्लाह-ईश्वर,फिर बार बार तुम से क्यों डरे...
धीमे से नैना बोले,आसुओ की धारा मुझ से ले ले....पीछे कहाँ रहे दिल-दिमाग के पुर्ज़े,नज़र तुझे अब
मेरी ही लगे...मुस्कुराएं हम..अरे.यह तो अपने है साथी सभी...फिर क्यों मेरे दुश्वार बने...जवाब एक
दिया सब को..जब साथ मेरे अल्लाह-ईश्वर,फिर बार बार तुम से क्यों डरे...