गर्म मौसम मे गर्म रेत पे चल कर भी, क्यों सर्द आहे भरते हो--पसीना बहाने की जगह,क्यों अश्क
बहाया करते हो---चांदनी रात मे देख चाँद को,क्यों उस के नूर से जला करते हो---दाग उस मे है
लेकिन, चांदनी के प्यार को क्यों महसूस नहीं किया करते हो---बाहें फैलाए खड़ी है नई राहे,जिन को
गले लगाने से क्यों डरा करते हो---धक् धक् दिल तो करता है मगर,इन की धड़कनो को समझने से
क्यों डरते हो---
बहाया करते हो---चांदनी रात मे देख चाँद को,क्यों उस के नूर से जला करते हो---दाग उस मे है
लेकिन, चांदनी के प्यार को क्यों महसूस नहीं किया करते हो---बाहें फैलाए खड़ी है नई राहे,जिन को
गले लगाने से क्यों डरा करते हो---धक् धक् दिल तो करता है मगर,इन की धड़कनो को समझने से
क्यों डरते हो---