Tuesday 14 May 2019

गर्म मौसम मे गर्म रेत पे चल कर भी, क्यों सर्द आहे भरते हो--पसीना बहाने की जगह,क्यों अश्क

बहाया करते हो---चांदनी रात मे देख चाँद को,क्यों उस के नूर से जला करते हो---दाग उस मे है

लेकिन, चांदनी के प्यार को क्यों महसूस नहीं किया करते हो---बाहें फैलाए खड़ी है नई राहे,जिन को

गले लगाने से क्यों डरा करते हो---धक् धक् दिल तो करता है मगर,इन की धड़कनो को समझने से

क्यों डरते हो---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...