खामोशिया बस आवाज़ देने को ही थी..कि उस ने हमारा शहर ही छोड़ दिया...इज़हार करने को ही थे
कि उस ने हम से नाता ही तोड़ लिया...शर्म का पर्दा गिराने के लिए,हिम्मत कब से जुटा रहे थे...बात
कहने के लिए अल्फाज़ो को ढूंढ ही रहे थे..कहानी उस की मेरी हो सब से जुदा,नज़र ज़माने की हम को
ना लगे इन्ही अल्फाज़ो को बताने वाले ही थे कि उस से पहले ही उस ने हमारा शहर छोड़ दिया...
कि उस ने हम से नाता ही तोड़ लिया...शर्म का पर्दा गिराने के लिए,हिम्मत कब से जुटा रहे थे...बात
कहने के लिए अल्फाज़ो को ढूंढ ही रहे थे..कहानी उस की मेरी हो सब से जुदा,नज़र ज़माने की हम को
ना लगे इन्ही अल्फाज़ो को बताने वाले ही थे कि उस से पहले ही उस ने हमारा शहर छोड़ दिया...