Saturday 11 May 2019

खामोशिया बस आवाज़ देने को ही थी..कि उस ने हमारा शहर ही छोड़ दिया...इज़हार करने को ही थे

कि उस ने हम से नाता ही तोड़ लिया...शर्म का पर्दा गिराने के लिए,हिम्मत कब से जुटा रहे थे...बात

कहने के लिए अल्फाज़ो को ढूंढ ही रहे थे..कहानी उस की मेरी हो सब से जुदा,नज़र ज़माने की हम को

ना लगे इन्ही अल्फाज़ो को बताने वाले ही थे कि उस से पहले ही उस ने हमारा शहर छोड़ दिया...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...