Monday 13 May 2019

जनून है तुझ से मिलने का---जनून है अल्फाजो को लिखने का---जनून है अपने मकसद को पूरा करने

का---वही तक बंधी है डोर इन सांसो की,मकसद जहा ख़त्म  हुआ---बात रही इन अल्फाज़ो की,आखिरी

साँस तक कलम उठाए गे---कितने ही बचे है लफ्ज़,जो इन्ही पन्नो पे उतार जाए गे---कहानी ज़िंदगी

की अपनी,शर्तो के साथ लिख जाए गे----जनून जिसे पढ़ने का होगा,यह अल्फ़ाज़ उसी के हो जाए गे----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...