बहुत कुछ कहने के लिए जरुरी तो नहीं कि लबो को पूरा खोला जाए..इज़हारे-इश्क करने के लिए तेरे
नाम का इक लफ्ज़ ही काफी है..फूलो से सजा हो आशियाना सारा,इक फूल खिला हो दिल के आंगन
मे इतना ही काफी है..दौलत के ढेर से खुशियाँ कहां आती है,चंद सिक्को मे जो ज़िंदगी को प्यार से
नहला दे यही काफी है..सांसो का लेखा-जोखा ना कर,जितनी उम्र मिल जाए उस मालिक की मेहरबानी
है...
नाम का इक लफ्ज़ ही काफी है..फूलो से सजा हो आशियाना सारा,इक फूल खिला हो दिल के आंगन
मे इतना ही काफी है..दौलत के ढेर से खुशियाँ कहां आती है,चंद सिक्को मे जो ज़िंदगी को प्यार से
नहला दे यही काफी है..सांसो का लेखा-जोखा ना कर,जितनी उम्र मिल जाए उस मालिक की मेहरबानी
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