Thursday 9 May 2019

इतना भी ना चाह मुझ को,कि वज़ूद तेरा अपना ही ना रहे...इन सांसो का क्या भरोसा,आज है कल

रहे ना रहे...मिट्टी के है पुतले यहाँ,धरा मे कही खो जाये गे...सांसो का मोल समझ,ज़िंदगी फिर

लौट के ना आये गी...बहुत कुछ करना है अभी,पुरानी यादो से निकलना है अभी...दोनों हाथो से

फिजाओ मे प्यार बहाना है अभी..किसी की यादो मे आए गे बन के फरिश्ता तो किसी को रुलाए

गे यादो का बन कर गुलदस्ता ...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...