इतना भी ना चाह मुझ को,कि वज़ूद तेरा अपना ही ना रहे...इन सांसो का क्या भरोसा,आज है कल
रहे ना रहे...मिट्टी के है पुतले यहाँ,धरा मे कही खो जाये गे...सांसो का मोल समझ,ज़िंदगी फिर
लौट के ना आये गी...बहुत कुछ करना है अभी,पुरानी यादो से निकलना है अभी...दोनों हाथो से
फिजाओ मे प्यार बहाना है अभी..किसी की यादो मे आए गे बन के फरिश्ता तो किसी को रुलाए
गे यादो का बन कर गुलदस्ता ...
रहे ना रहे...मिट्टी के है पुतले यहाँ,धरा मे कही खो जाये गे...सांसो का मोल समझ,ज़िंदगी फिर
लौट के ना आये गी...बहुत कुछ करना है अभी,पुरानी यादो से निकलना है अभी...दोनों हाथो से
फिजाओ मे प्यार बहाना है अभी..किसी की यादो मे आए गे बन के फरिश्ता तो किसी को रुलाए
गे यादो का बन कर गुलदस्ता ...