राज़ छुपा ले या राज़ बता दे---ज़िंदगी को यु ही चलने दे कि तेरे कदमो मे बिछा दे---निकले थे तलाश
मे मंज़िल की,तेरे मिलने को किस बात का आगाज़ कहे---ना बार बार गुजर मेरी राहो के नज़दीक से,
चांदनी रात भी होती है तलाश मे बेहद गरूर से---ढूंढ़ती है वो किस को,राज़ तो उस ने भी छुपाया है----
खूबसूरती को नज़र किसी की ना लगे,चाँद ने खुद को दाग लगाया है---तारे भी रश्क करते है,कि राज़
तो चांदनी ने भी छुपाया है---
मे मंज़िल की,तेरे मिलने को किस बात का आगाज़ कहे---ना बार बार गुजर मेरी राहो के नज़दीक से,
चांदनी रात भी होती है तलाश मे बेहद गरूर से---ढूंढ़ती है वो किस को,राज़ तो उस ने भी छुपाया है----
खूबसूरती को नज़र किसी की ना लगे,चाँद ने खुद को दाग लगाया है---तारे भी रश्क करते है,कि राज़
तो चांदनी ने भी छुपाया है---