Tuesday 7 May 2019

राज़ छुपा ले या राज़ बता दे---ज़िंदगी को यु ही चलने दे कि तेरे कदमो मे बिछा दे---निकले थे तलाश

मे मंज़िल की,तेरे मिलने को किस बात का आगाज़ कहे---ना बार बार गुजर मेरी राहो के नज़दीक से,

चांदनी रात भी होती है तलाश मे बेहद गरूर से---ढूंढ़ती है वो किस को,राज़ तो उस ने भी छुपाया है----

खूबसूरती को नज़र किसी की ना लगे,चाँद ने खुद को दाग लगाया है---तारे भी रश्क करते है,कि राज़

तो चांदनी ने भी छुपाया है---



दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...