Friday 17 May 2019

दूर तल्क जाने की चाह मे क्यों राह मे हार गए...ज़िंदगी बहुत लम्बी है बेवजह परेशां हो गए ...टुकड़े

कर के खुद अपने ही दिल के,दुसरो से इनायत की भीख कभी मांगी जाती है...यह तो दुनिया है यारा

झुकाने से कब बाज़ आती है...जो सलाम बजा दे बेवजह,थोड़ी देर के लिए उस की होती है..याद रखना

रूह को जो छील दे,वो इज़्ज़त नहीं भीख होती है...चल सिर्फ अपने ही दम पर,यही अपनी ही हिम्मत

की जीत होती है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...