दूर तल्क जाने की चाह मे क्यों राह मे हार गए...ज़िंदगी बहुत लम्बी है बेवजह परेशां हो गए ...टुकड़े
कर के खुद अपने ही दिल के,दुसरो से इनायत की भीख कभी मांगी जाती है...यह तो दुनिया है यारा
झुकाने से कब बाज़ आती है...जो सलाम बजा दे बेवजह,थोड़ी देर के लिए उस की होती है..याद रखना
रूह को जो छील दे,वो इज़्ज़त नहीं भीख होती है...चल सिर्फ अपने ही दम पर,यही अपनी ही हिम्मत
की जीत होती है...
कर के खुद अपने ही दिल के,दुसरो से इनायत की भीख कभी मांगी जाती है...यह तो दुनिया है यारा
झुकाने से कब बाज़ आती है...जो सलाम बजा दे बेवजह,थोड़ी देर के लिए उस की होती है..याद रखना
रूह को जो छील दे,वो इज़्ज़त नहीं भीख होती है...चल सिर्फ अपने ही दम पर,यही अपनी ही हिम्मत
की जीत होती है...