जान हथेली पर रख कर ज़िंदगी को दोस्त बना लिया हम ने..ज़माना बोले हमे हरजाई,खुद ही को
दग़ा दे दिया हम ने..काँटों ने बार बार उलझाया,झाड़ियों मे दामन भी फसाया..कुछ ना हुआ तो
फूलों से मिलने के बहाने उस के काँटों से रूबरू करवाया..अब तो ज़िंदगी की शाम है,अलविदा कभी
भी हो जाए गी..सुन जान मेरी,जब बना लिया दोस्त तुझे ऐ ज़िंदगी,तो अपनी जान भी किस काम
आए गी....
दग़ा दे दिया हम ने..काँटों ने बार बार उलझाया,झाड़ियों मे दामन भी फसाया..कुछ ना हुआ तो
फूलों से मिलने के बहाने उस के काँटों से रूबरू करवाया..अब तो ज़िंदगी की शाम है,अलविदा कभी
भी हो जाए गी..सुन जान मेरी,जब बना लिया दोस्त तुझे ऐ ज़िंदगी,तो अपनी जान भी किस काम
आए गी....