Monday 27 May 2019

नींद रूठी जब आँखों से,रात बोझिल हुई जब रुकी सांसो से...तब भी मुस्कुराए आधी अधूरी नींद मे ..

मदहोशियों ने घेरा जब उन्ही के ख्याल से,खुद की सूरत मे,अक्स उन्ही का नज़र आया..खामो-ख्याली

मे गुजरते रहे कुछ लम्हे इसी इंतज़ार मे..दीदार होगा कब मगर,भूलते गए अपने ही होशो-हवास मे..

ज़िंदगी ले आई हमें ज़िंदगी की शाम मे,कुछ सपने सच होते नहीं..सोचा हम ने उन्ही की बातो के

फरमान से...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...