इस पत्थर दिल दुनियाँ मे..तेरे दिल को हम ने सच्चा समझा..सब से अलग और जुदा सा देखा...वक़्त
की धार दिखाई तूने ऐसी कि तू भी और तेरा दिल भी दुनियाँ जैसा पत्थर ही निकला...नैना बार-बार
भर आते है..पलकों के किनारे अक्सर गीले हो जाते है...सर्वस्व वार दिया तुझ पे मैंने अपना..तेरे कदमों
को ज़न्नत अपना माना...याद नहीं कि हम गलत कहाँ थे..याद है इतना कि तेरी रूह के संग जुड़े थे...
फिर तेरे दिल का यू पत्थर होना...मेरे होते तुझ पे, इस गन्दी दुनियाँ का रंग चढ़ गया कैसे..सवाल बहुत
है मेरे पास..पर तू कुछ तो बोले..................