दुनियाँ से अलग,बहुत अलग होना ही...पहचान है हमारी...उस ने क्या किया,उस ने क्यों किया..बेवजह
वक़्त ख़राब करना,यह फ़ितरत नहीं हमारी...जो किया बस,कर दिया..ढ़िढोरा पीटना आदत भी नहीं...
खुद को वक़्त दे कर खुद को बनाया,बस इतनी पहचान होती रहे गी हमारी...उतरना है ज़िंदगी की इस
कसौटी पे खरा तो खुद को तराशना है बेहद जरुरी...लोगो को अपने कदमों मे झुकाना,नहीं मकसद
हमारा.. पर खुद भी बेवजह झुकना,लिखा नहीं लकीरों मे हमारी...खुद्दार होना खुदा से मिली नियामत
है हमारी...जो मिला प्यार से,उस को रास्ता ज़िंदगी का बता दिया..जो रहा अकड़ के,उस से रास्ता ही
अपना बदल लिया...