आ ना,फिर से लौट चले उसी सुहानी शाम मे...कुछ वादे थे तेरे और कुछ वादे थे मेरे.. तेरे-मेरे बीच मे
अब किसी दीवार को कोई जगह ना दे..परेशानियां कितनी भी सर पे चढ़े,बस करीब रुकने की वो खास
नियामत ख़तम ना होने दे..बहुत नसीब से ऐसे रिश्ते जुड़ा करते है..कभी राधा हू मैं तो तू कृष्ण बन संग
है मेरे..कभी शिव की महिमा को दोहराते हुए,गौरी बन तेरे ही साथ हू मैं..सीता का रूप धर किसी रोज़
इसी धरा मे समा जाऊ गी मै,तेरे लिए खुद की अग्नि-परीक्षा तक दे जाऊ गी मै..तेरे लिए जन्मे तो तेरे ही
लिए ख़तम हो जाये गे...कभी तो यकीन पे यकीन कर..एक अश्क गिरा आंख से और तेरी याद मे हम
खो से गए..ज़िंदगानी का भरोसा क्या करना,बस लौट के अब तो आ जा..