अपने दिल पे लगा के ताला और चाबी दे कर हमें वो बोले...आज के बाद तुम्हारे सिवा इस दिल मे कोई
और ना आ पाए गा..रहे गे तुम्हारे सदा,किसी और के कभी ना अब हो पाए गे...सातवें आसमां पे जैसे
हम पहुंच गए..प्यार मे बस उन्ही के जैसे ग़ुम ही हो गए...अरसा कुछ ही बीता तो एहसास हुआ,कितना
बदल गए है वो...जो हर पल मे कभी साथ हमारे थे वो महीनों कही खो गए थे अब..वक़्त की कमी का
एहसास दिला दूरी बना ली हम से और काम का रोना रो कर महीनों गायब से हो गए..अब समझे हम
कि चाबियां तो इक ताले की और भी बन जाती है..नीयत गर साफ़ ना हो तो दूरियाँ और बड़ जाती है..