Saturday 13 March 2021

 ख़ुशी अंगना उतरी कि बेटा हुआ है..हवा महक उठी कि बेटी लक्ष्मी बन घर अंगना उतरी है..पर यह 


क्या ??जो बेटा नहीं और बेटी भी नहीं..उस के आने से क्यों सब के चेहरे पे परेशानी छाई है..आखिर 


वो भी तो इस दुनियाँ मे मालिक की मरज़ी से ही तो आई है..फिर क्यों नहीं बजे ढोल-नगाड़े..क्यों सब 


के चेहरे ख़ुशी से नहीं चमके..कभी सोचा..सच्ची दुआ लेनी हो तो अपने घर इन को बुलाते है..इन के 


आशीष से हम बेहद खुश हो जाते है..जिन को घर के लोग और माता-पिता तक शर्म के मारे छोड़ देते 


है..भूल रहे है आप सब,बदनसीब वो नहीं,आप सभी है..जरुरत से ज्यादा प्यार-दुलार इन को दीजिए..


इन के लाड़ और नखरे वैसे ही उठाइए,जैसे बेटा-बेटी के उठाते है...इन की आंख से गिरा एक आंसू 


भी,आप को तबाह तक कर सकता है..सोचिये जरा,जिन की दुआ इतनी पाक मानते है आप..उन की 


आह कितनी दूर तक जा सकती है.....याद रहे,कुदरत की लाठी मे कभी आवाज़ तक नहीं होती...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...